ग्रामीण जीवन शैली | Gramin Jivan CG

भारत एक विशाल देश होने के साथ साथ गॉवों देश  है ,यहाँ की ज्यादातर  जनसंख्या गॉव में निवास करती हैं।गॉव के लोग भोले भाले होने के साथ साथ सादगी से जीवन यापन करते हैं। रहन सहन ,वेशभूषा,खान पान आदि  बहुत ही सामान्य होता है। 

 छत्तीसगढ़ में ग्रामीण जनसंख्या पूर्णतः कृषि पर आधारित होती है ।खेत मे जो कुछ भी पैदावार होता है , उसी से ये अपना जीवन यापन करते हैं। समय के साथ -साथ कृषि के तरीके में बदलाव आया है ,जिसके कारण पहले की तुलना पैदावार पढ़ा हैं ,जिसके कारण लोगों के जीवन स्तर में सुझार हुआ है |   ग्रामीण जीवन को नीचे दिए कुछ बिंदु के आधार पर समझने का प्रयास करेंगे-

1.वातावरण-

गांव का वातावरण बहुत ही सुहावना होता है ।ताजी एवं शुद्ध हवाएं,शोरशराबा से मुक्त ,जीव जंतु के लिए अनुकूल,प्रदूषण से मुक्त।गर्मी के दिनों में किसी छायादार वृक्ष के नीचे बैठ जाओ तो कूलर के हवा से भी ज्यादा सुकून मिलता है।बरसात में मिट्टी की सोंधी महक  शरीर के लिए एंटीबायोटिक का कार्य करता है ।यहां के लोगों के स्वस्थ जीवन का राज शुद्ध वातावरण ही है।

जनसंख्या में वृद्धि और विकास की दौड़ में आगे निकलने की मानसिकता ने विभिन्न उद्योगों को गाँव तक खीचकर ले आया है , कल कारखानों से निकलने वाले धुंआ और विषैले पानी के कारण कई ग्रामों में  कृषि योग्य भूमि भी उपयोग के लायक नहीं बचा हैं ,जिसके कारण लोग अपने भूमि को बेचने के लिए विवश भी हो रहे हैं |

2.वेशभूषा-

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण लोगों का पहनावा बहुत ही सामान्य होता है ।पुरुष पहले धोती ,पजामा,कुर्ता और शर पर पगड़ी पहनते थे, पर अब कुर्ता ,धोती,पेंट के साथ साथ घर पर लुंगी पहनते हैं।महिलाएं साड़ी, लहंगा पहनतीं हैं।बच्चों को कुर्ता और पेंट पहनाया जाता है। 

3.खानपान-

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण लोग सामान्यतः चावल,दाल,सब्जी ,घर मे बनाया हुआ आचार,लहसुन और लाल मिर्ची की चटनी आदि। छत्तीसगढ़ में खासकर जो प्रसिद्ध है ,वह है बोरेबासी ।छत्तीसगढ़ के ग्रामीण खानपान में बोरेबासी का अपना अलग ही महत्व है।बोरेबासी कुछ और नही पका हुआ चावल ही होता है जिसे पानी में डुबाकर खाने पर बारे और एक या दो दिन के बचे खाना को बासी कहा जाता है। सुकसा भाजी भी ग्रामीण खानपान में शामिल है। 

4.रहन सहन-

 गॉव में लोग सामान्यतः संयुक्त परिवार में रहते हैं और साथ-साथ मिलकर खेती का कार्य करते हैं।सीमित साधनों से गुजारा करते हैं।घर मे पुरुष मुखिया होता है उसी के दिशानिर्देशन में रह कर सभी विभिन्न कार्यों को सम्पादित करते है।गॉव में परम्पराओं का निर्वहन अच्छे से किया जाता है।बड़ों का पैर छूना,मेहमान आने पर लोटे में पानी देना,विधि विधान से अपने कुल देवताओं का पूजा करना आदि।
गॉव में लोग कड़ी धूप में मेहनत करते है। बारिस के पानी ,चिलचिलाती धुप तथा कड़कड़ाती ठंड , किसी भी मौसम हो कड़ी मेहनत करते हैं,जिससे उनके शरीर मे चर्बी जमा नहीं हो पाता है,सूर्य के तेज धूप के कारण शरीर से पसीने का निकलना,इन्ही सब बातों के कारण गॉव के लोग स्वस्थ तथा औसतन दीर्घायु होते हैं।

5.प्रकृति प्रेमी-

 गॉव के लोग प्रकृति प्रेमी होते हैं। जन्म होने से लेकर मृत्यु तक प्रकृति के गोद में ही फलते फूलते हैं ,यही कारण है कि पेड़ -पौधों ,जीव -जंतु,नदी- पहाड़, पक्षी आदि के बीच मे इनका संरक्षण करते हुए जीवन यापन करते हैं।गॉव में गौरैया का कलरव,कौआ का कांव कांव इनके लिए अलार्म का काम करता है।

6.सामाजिक समरसता- 

सामाजिक समरसता गॉव का पहचान है ।लोग एक दूसरे के धर्म ,परम्परा, तीज त्यौहार आदि का सम्मान करते हैं।एक दूसरे के दुख सुख में शामिल होना ,किसी अनजान से आत्मीयता से बात करना ,मुसीबत में मदद करना ये गॉव के लोगों की विशेषता है।गॉव में चाहे किसी भी धर्म या जाती के हो लोग एक दूसरे से रिश्तों में बंधे रहते हैं।

7.आय का साधन-

गॉव के लोगों के आय का मुख्य और एक मात्र साधन है कृषि ।कृषि ही गॉव के लोगों के आय का जरिया है।आय का यह साधन भी पूर्णतः मानसून पर आधारित होता है। 

8.समय प्रबन्धन- 

गॉव के लोगों का एक खासियत यह भी है कि गॉव में लोग समय का प्रबंधन सही तरीके से करते हैं।।तड़के उठना ,बैल- भैस आदि जानवरों को भूसा खिलाना,सुबह सुबह हल लेकर खेत मे जाना,कब फसल बोना है ,कब खाद डालना है आदि।गॉव के लोगों का एक खासियत यह भी है कि गॉव के लोग अनुमान सटीक लगाते हैं।

9. गॉव के लोगों की कुछ समस्याएं भी है-

 गॉव मेंअस्पताल,स्कूल ,कालेज ,सड़क के अतिरिक्त अन्य शासकीय कार्यालय नही होते है जिससे लोगों को बहुत ही ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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 गॉव के लोग भोले भाले होते है जिससे बाहरी लोग इनके मासूमियत का नाजायज फायदा उठाते हैं और इनका शोषण करते हैं।कारखाना आदि के नाम पर लोगो के जमीन को सस्ते दामों पर खरीदा जा रहा है।शासन को चाहिए कि ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही करे।शासन के कई जनकल्याणकारी योजनाओं से गॉवों की स्थिति में निरन्तर बदलाव हो रहा है।

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