छत्तीसगढ़ी कहानी-गधा अउ घोड़ा ।chhattisgarhi kahani gadha au ghoda


कहानी साहित्य की एक ऐसा विधा है जिसका अपना अलग ही महत्व है।कहानी हमेशा प्रेरणादायक होती है ।नई नई सिख देने के साथ ही रोचक और मनोरंजक होती है।हम आप सब के लिए ऐसे ही मजेदार,रोचक और शिक्षाप्रद कहानी प्रस्तुत करने जा रहे हैं-

एक गांव म एक झन बैपारी रहय।ओ ह रूवा अउ नमक के बैपार करय ।बैपारी ह रूवा अउ नमक बेचे ल दुरिहा दुरिहा गांव म जाय।

रूवा अउ नमक ल रख के लेगे लाए बर एक गदहा अउ एक घोड़ा रखे रहय।दुनो ल अपन लईका कसन रखे रहय अउ कस के खवाय पियाय। बैपारी  ह अपन गॉव ले समान बेचे बर जेन रसता म जाय ओ रस्ता म एक नदिया परय।


एक दिन बैपारी ह गदहा म नमक अउ घोड़ा म रूवा लाद के बेचे बर जात रहय। नदिया ल जइसे पार करे बर बैपारी ह गदहा अउ घोड़ा नदिया म उतारिस बीच नदिया म जा के गदहा के गोड़ ह फिसल गे।गदहा ह पानी म गिर गे ।



पानी ले निकलिस त नमक पानी म घूर के बहिगे रहय ।अब गदहा ल पीठ म लदे समान हलका लगे लगिच।गदहा अब जानगे नदिया के पानी म समान घूर जथे।

रोज बीच नदिया म जाय अउ जान बूझ के बइठ जै। बैपारी ल घाटा होय लागिच।गदहा जान बूझ के गबदारी करे लगिच।कामचोरी के चक्कर म बैपारी के घाटा करे लगिच।


बैपारी ह गदहा के चाल ल धीरे धीरे समझ गे अउ गदहा ल सबक सिखाय बर सोचिच।

बैपारी ह एक दिन गदहा म रूवा अउ नमक ल घोड़ा म लाद दिच अउ समान बेचे बर निकल गे । रस्ता म जइसे नदिया ल पार करत रहय गदहा आदत से मजबूर बीच नदिया म जाके बइठ गे ।बहुत कन पानी रूवा म भर गे।

गदहा जइसे तइसे किनारे म पहुचीच नदिया के करार ले नई चढ़ सकीच।बैपारी ह गदहा ल दू डंडा लगाईच। गदहा ल मार पड़ीच त बहुत मुश्किल म मड़िया के करार ले चढ़ीच।

समान के बेचत ले गदहा पसीना म नहा डरे रहय। तब गदहा के होस ठिकाना आगे ।अउ ओ दिन ले फेर सिधाई से समान ल ढोय लगिच।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि गलती एक बार होती है बार बार गलती करना गलती नही होती। हमें घोड़े की तरह वफादार होना चाहिए ।गधे की तरह कामचोर नही होना चाहिए।

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