जैसा कि आप सभी जनते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 1 नवम्बर सन 2000 को हुआ था,पर छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास बहुत प्राचीन है।छत्तीसगढ़ को पहले दक्षिण कौशल,धान का कटोरा आदि नामों से भी जाना जाता था |
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुंदरता वाला राज्य है। प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह राज्य पर्यटन का महत्वपूर्ण स्थान भी है।छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में आपको एक या अधिक दर्शनीय स्थल जरूर मिल जाएंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत सारे प्राचीन दर्शनीय स्थल है,जिसे देखने देश से ही नही विदेशों से भी लोग आते हैं।इस आर्टिकल में छत्तीसगढ़ के 10 प्राचीन मंदिरों के बारे में बताया गया है,जो पर्यटन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के 10 प्राचीन मन्दिर
1.बम्लेश्वरी मन्दिर (डोंगरगढ़)-
डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित है।यह छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर से 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यहाँ माँ बम्लेश्वरी का प्राचीन और भव्य मंदिर है।यहाँ माँ बम्लेश्वरी पहाड़ी पर विराजमान है।लगभग 300 से400 सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है।नवरात्रि के समय यहाँ भव्य मेला लगता है।
2.दन्तेश्वरी मन्दिर(दंतेवाड़ा)-
दन्तेश्वरी माता का मंदिर दंतेवाड़ा में ही स्थित है।यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है।यह मंदिर राजधानी रायपुर से 343 किलोमीटर की दूरी में स्थित है।यदि आप दन्तेश्वरी माता का दर्शन करने जाते हैं तो उसके आसपास के पर्यटन स्थल चित्रकोट, कुटुमसर गुफा, को भी घूम सकतें हैं।नवरात्रि में दन्तेश्वरी माता के मंदिर में मेला लगता है।
3.महामाया मन्दिर (रतनपुर)-
रतनपुर छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर जिला में स्थित है।रतनपुर ,रायपुर से बिलासपुर होते हुए कोरबा मार्ग में 138 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यहाँ माँ महामाया का प्राचीन मंदिर है।यहाँ नवरात्रि के समय मेला लगता है।इसके अतिरिक्त यहां लगनी दाई, भैरो बाबा मन्दिर,शिव मंदिर,हनुमान मंदिर, राम टेकरी आदि मन्दिर दर्शनीय है।रतनपुर से 4किलोमीटर की दूरी पर कोरबा मार्ग में ही इंदिरागांधी जलाशय है।
4.देवरानी जेठानी मन्दिर(तालागॉव)-
तालागॉव रायपुर से बिलासपुर मार्ग में 93किलोमीटर की दूरी पर मनियारी नदी के तट पर स्थित है।तालागॉव भी बिलासपुर जिले में ही स्थित है। यहाँ चौथी पांचवी शताब्दी के देवरानी-जेठानी मन्दिर है।यहाँ रुद्र शिव की विशाल प्रतिमा है।यह प्रतिमा लगभग 1500 वर्ष पुराना है।
5.भोरमदेव मंदिर(भोरमदेव)-
भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है क्योकि यहाँ के मंदिर में जो ललित कलाओं की मूर्तियाँ है ,वह खजुराहों की मूर्तियों से मेल खाती है।भोरमदेव का मंदिर पहाड़ों के बीच मे स्थित है पास में ही सुंदर तालाब है।इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग है।आजकल मंदिर के पास ही गार्डन बनाया गया है जिससे यहां की सुंदरता और बढ़ गया है।
मन्दिर के बाहरी दीवाल पर घोड़ा,नटराज,गणेश और रति क्रिया वाली बहुत सारी मूर्तियाँ हैं।भोरमदेव में ही मड़वा महल और छेरका महल भी है जो देखने योग्य है।छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रतिवर्ष भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जाता है।भोरमदेव मन्दिर कबीरधाम जिले के अंर्तगत आता है।
6.राजीवलोचन(राजिम)-
राजिम गरियाबंद जिले के अंतर्गत आता है।राजिम में भगवान राजीवलोचन का बहुत ही प्राचीन मंदिर है।भगवान राजीवलोचन मंदिर के अतिरिक्त यहाँ कुलेश्वर महादेव,तेलिन सति का मंदिर, राम-जानकी मंदिर है।यहाँ पैरी,सोंढुर और महानदी का संगम स्थल हैं।राजिम में माघ के महीने में मेला लगता है।
7 .गणेश प्रतिमा(बारसूर)-
बारसूर दंतेवाड़ा जिले में है।यहाँ भगवान गणेश की बहुत प्राचीन और विशालकाय प्रतिमा है।बारसूर में भगवान गणेश के प्रतिमा के अतिरिक्त मामा-भांचा मन्दिर,बत्तीसा मन्दिर,चन्द्रादित्य मन्दिर है।
8.डिंडेश्वरी मंदिर(मल्हार)-
मल्हार बिलासपुर जिले में स्थित है ।रायपुर से मल्हार की दूरी 127किलोमीटर है।यहाँ डिंडेश्वरी देवी का प्राचीन मंदिर है।भारत के52 शक्तिपीठों में 51वां शक्तिपीठ मल्हार में है।यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में डिंडेश्वरी मंदिर,पातालेश्वर मंदिर,देउरी मन्दिर है।यहाँ डिंडेश्वरी की ग्रेनाइट से निर्मित प्रतिमा है।यहाँ शैव,वैष्णव,जैन एवं बौद्ध धर्मों के पुरावशेष विद्यमान है। प्रतिवर्ष मल्हार महोत्सव किया जाता है।
9.लक्ष्मण मंदिर(शिरपुर)-
शिरपुर महासमुंद जिले में है।शिरपुर में भगवान बुद्ध आये थे।यहाँ सम्राट अशोक द्वारा स्तूप भी बनवाया गया था।बुद्ध पूर्णिमा के दिन यहां शिरपुर महोत्सव का आयोजन किया जाता है।शिरपुर मंदिरों में लाल इंटों का प्रयोग हुआ है।यहाँ के लक्ष्मण मंदिर का निर्माण महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल मे उसकी माता वासाता देवी ने 7 सदी में कराया था।इसके अतिरिक्त यहाँ राममंदिर, गंधेश्वर महादेव व संग्रहालय है।
10.शिवरीनारायण मंदिर(शिवरीनारायण)-
शिवरीनारायण महानदी,जोकनदी, और शिवनाथनदी के संगम स्थल पर स्थित है।भगवान राम ने शबरी के हाथ से जूठा बेर शिवरीनारायण में खाया था।यहां प्राचीन काल से माघीपूर्णिमा के दिन मेला लगता है।12 सदी में निर्मित विष्णु जी की चतुर्भुजी प्रतिमा है।यहीं पर चंद्रचूड़ महादेव का मंदिर भी है।
इन प्राचीन मंदिरों के अतिरिक्त अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में महामाया मंदिर लाफ़ागढ(कोरबा),लक्ष्मणेश्वर मंदिर खरौद(जांजगीर चाँपा,चन्द्रहासनी चंद्रपुर(जांजगीर चाँपा),गुरु घासीदास जन्म भूमि तपोभूमि गिरौदपुर(बलौदाबाजार)आदि।
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आशा है आपको यह जानकारी उपयोगी जरूर लगा होगा।इस आर्टिकल को अधिक से अधिक शेयर जरूर करें क्योंकि छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मददगार साबित हो सकता है।दोस्तों यदि आप छत्तीसगढ़ के किसी भी पर्यटन स्थल के बारे जानना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स के अपना सवाल जरूर लिखें हम शीघ्र ही आपके सवालों देंगे।जय छत्तीसगढ़
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