जय जोहार, यदि आप छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और मिटटी के बर्तन ,मूर्ति ,खिलौने अन्य किसी तरह का सामान बनाते हैं तो आपको इस जानकारी को ध्यान से जरुर पढना चाहिए ,क्योंकि यदि आप मिट्टी कला से जुड़े कोई काम करते हैं तो इस जानकारी के मदद से अपने कला का पंजीयन करा सकते हैं और मिट्टी कला के विकास के लिए शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ ले सकते हैं |
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है,जहां ज्यादातर लोग कृषि कार्य में जुड़े हुए हैं, हालांकि अन्य राज्यों में भी लोग कृषि करते हैं पर यहाँ की खास बात यह है कि लोग किसी कार्य के साथ-साथ अपने परंपरागत व्यवसाय को भी जिंदा रखे हैं। जब कृषि का काम नहीं होता है, उस समय लोग अपने इस परंपरागत व्यवसाय को करते हैं, जिससे उनका परिवारिक खर्च निकल जाता है। पहले के जमाने में परंपरागत व्यवसाय ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार होता था, अलग-अलग समुदाय के लोग अलग-अलग तरह के उत्पादन करते थे जिससे वे एक दूसरे से अपनी जरूरत का सामान खरीद लेते थे।
तेल निकालना, मिट्टी का बर्तन बनाना, सूती कपड़े बनाना, बांस का सामान यह सब काम लोग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के मदद से करते थे, परंतु वर्तमान में कारखानों के स्थापना ने इन व्यवस्थाओं को लगभग बंद होने के कगार पर पहुंचा दिया है। आज के आर्टिकल में हम इन्ही व्यवसाय में से एक व्यवसाय जिसके विकास और तकनीकी विस्तार के लिए शासन द्वारा जो योजनाएं शुरू की गई है उसी की जानकारी आपसे साझा करने जा रहे हैं।
जी हां आज हम आपसे मिट्टी कला के विकास और तकनीकी विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जो जो योजनाएं चलाई जा रही है,उसी से जुड़ी जानकारी साझा करने जा रहे हैं। यदि आप भी माटी कला से जुड़े कुछ भी कार्य करते हैं तो आप इन योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। योजनाओं के तहत माटी कला से जुड़े औजार का निशुल्क वितरण किया जाता है इसके अलावा आर्थिक अनुदान का भी प्रावधान है|
योजना का नाम | माटी कला शिल्पकार पंजीयन |
लाभार्थी | छत्तीसगढ़ के माटी कला से जुड़े लोग |
लाभ | माटी कला से जुड़े औजार और अन्य लाभ |
उद्देश्य | मिट्टी की कला को बढ़ावा देना |
ऑफिसियल वेबसाइट | cghandicraft.cgstate.gov.in |
छत्तीसगढ़ मिट्टी कला बोर्ड –
छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड की स्थापना 13 अगस्त 2012 मैं किया गया था। इसका मूल उद्देश्य पारंपरिक माटी शिल्पकारों के सर्वांगीण विकास के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम के माध्यम से उद्यमिता कौशल विकसित करना है। छत्तीसगढ़ में कुंभ कारों एवं माटी शिल्पी ओके आर्थिक तकनीकी एवं सर्वांगीण विकास के लिए तथा पारंपरिक माटी शिल्पकला के संरक्षण योजनाबद्ध कार्यक्रम के माध्यम से उद्यमिता कौशल विकसित करने के लिए छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है।
माटी कला बोर्ड के द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है जिसके तहत शिल्पकारों को प्रशिक्षण, उपकरण सहायता, अनुदान अन्य सहायता प्रदान की जाती है
छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड द्वारा संचालित योजनाएं-
ग्लेजिंग यूनिट की स्थापना-
ग्लेजिंग यूनिट महासमुंद जिले के ग्राम गढ़फुलझर, तेलईकछार जिला सूरजपुर,ग्राम नारी जिला धमतरी में स्थापित की गई है। आगामी वर्ष में 4 जिलों में ग्लेजिंग यूनिट स्थापना किए जाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें दुर्ग,बिलासपुर, बस्तर और अन्य जिला सम्मिलित है, हो सकता है अभी तक की जिलों में ग्लेजिंग यूनिट की स्थापना हो चुकी होगी।
ग्लेजिंग यूनिक के माध्यम से लगभग 100 से 200 माटी शिल्पी परिवार आपस में मिलकर कप, प्लेट,थाली, कटोरी, गिलास, किचनवेयर, टेबल वेयर, कुल्हड़, पानी बाल्टी आदि का निर्माण करते हैं। ग्लेजिंग यूनिट में लगने वाले औजार सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
कुंभकार टेराकोटा योजना-
छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड द्वारा प्रदेश के माटी शिल्पीयों को 31 दिसंबर 2020 तक 6481 नग विद्युत चौक का निशुल्क वितरण किया गया था और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा गया था। 2021-22 में 609 विद्युत चौक का निशुल्क वितरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था, यदि आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
माटी शिल्पीयों /कुंभकारों का पंजीयन-
प्रदेश में मिट्टी के कारीगरों का सर्वे कर उनके पंजीयन के पश्चात में छत्तीसगढ़ शासन की विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का लाभ दिए जाने हेतु 2020- 21 में लगभग 31917 लोग माटी शिल्प कारों का पंजीयन किया जा चुका है आगामी वर्षों में 5000 सिद्धियों के पंजीयन का लक्ष्य है यदि आप माटी से जुड़े कार्य करते हैं और अभी तक पंजीयन नहीं कराए हैं तो पंजीयन जरूर करा लें क्योंकि पंजीयन होने से शासन के विभिन्न योजनाओं का लाभ आप ले सकेंगे।
आवासीय प्रशिक्षण योजना-
छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड द्वारा माटी शिल्पकारों के लिए आवासीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है जिसमें माटी कला से जुड़े प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाता है।
माटी शिल्पयों का डिजाइन विकास योजना-
योजना के तहत प्रदेश में कार्यरत मेडिसिन को कारों को भारत सरकार विकास आयुक्त के सहयोग से कुछ तकनीकी का प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाता है |
माटी शिल्प पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज –
पासपोर्ट साइज़ फोटो
आधार कार्ड
मोबाइल नम्बर
राशन कार्ड
बैंक पासबुक
स्थापित योजना का विवरण
कुम्हारों /माटी शिल्पियों का पंजीयन –
स्टेप 1- सबसे पहले आपको अपने मोबाइल या लैपटॉप के ब्राउजर में जाना है और उसके सर्च बार में cghandicraft.cgstate.gov.in टाइप कर सर्च करना है। जिससे छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड का ऑफिशियल वेबसाइट स्क्रीन पर प्रदर्शित होने लगेगा आपको उस पर क्लिक करना है।
स्टेप 2- छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के वेबसाइट का होमपेज स्क्रीन पर प्रदर्शित होने लगेगा, इस पेज में स्क्रोल डाउन कर नीचे की ओर आना है फिर सेल्फ के अंतर्गत दिए गए विकल्पों में से मिट्टी की कला वाले ऑप्शन पर क्लिक करना है।
स्टेट 3- अब आप पुनः एक न्यू वेबसाइट में रिडायरेक्ट हो जाएंगे, यहां पर scheme के अंतर्गत shilpiyo ka panjiyan के इंटरफ़ेस पर क्लिक करना है क्लिक करते एक आवेदन फार्म ओपन हो जाएगा जिसे डाउनलोड करना है डाउनलोड करने के बाद प्रिंट करना है और आवश्यक जानकारी को फील कर अपने जिले के हस्तशिल्प विकास बोर्ड कार्यालय में जमा कर देना है।
जमा करने के बाद आपका पंजीयन हो जाएगा और शासन द्वारा हस्तशिल्प यों के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही है उसका लाभ ले सकेंगे।
उम्मीद है आजकल यह जानकारी आपको पसंद आया होगा इसी तरह की उपयोगी जानकारी के लिए आप हमारे वेबसाइट का नियमित विजिट जरूर करते रहे साथी इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर जरूर करें ताकि माटी कला से जुड़े लोग शासन के योजनाओं का लाभ ले सके और अपने लिए स्वरोजगार तैयार कर सकें।