छत्तीसगढ़ी कहानी – लेढ़वा। chhattisgarhi kahani ledhva.

छत्तीसगढ़ी कहानी एक ऐसा विधा है जो अपने में छत्तीसगढ़ के छत्तीस प्रकार के विविधताओं को समेटे हुए है। आप जिस कहानी को पढ़ने जा रहे हैं इतना मजेदार है कि इस पर छत्तीसगढ़ी कॉमेडी फिल्म बनाया जा सकता है ।


एक गांव म डोकरी रहय ।डोकरी के एक झन लईका रहय।ओ ह पढ़े लिखे नई रहय ।एक दिन डोकरी ह कहिथे, ए बेटा लेढ़वा अब कमाय-धमाय नई सकौं ग ।तोर दद ह जियत रहिस तभे नानेकन के तोर बिहाव ल कर दे रहिस हे ,जा के बहु ल लेवा लाते ।

लेढ़वा बने सजिस -धजिस अउ दाई के बनाय रोटी ल धर के ससुरार बर निकलत रहय, तभेच ओखर दाई ह कहिथे – बढ़िया गरू चाल म जाबे बेटा अउ गरू चाल म आबे अउ जेन मेर रात होही उहें रात रुक जबे ।

एतका बात ल सुन के लेढ़वा ह पथरा ल मुड़ म बोह के निकल गे,काबर दाई कहे रहय गरू चाल म जाबे बेेेटा गरू चाल म आबे।


 

रस्ता म जात जात एक गांव पड़िस, ओ गांव ह लेढ़वा के ससुरार गांव राहय।लेढ़वा जइसे ससुरार घर मेर पहुचीस संझा होगे ।लेढ़वा ह ससुरार घर के गली कोती के परछी म पथरा ल उतारिस त लेढ़वा पूरा पसीना म भींग गे रहय ।परछी म ही रात रुक गे,काबर दाई कहे रहय जिहें रात होही उहें रात रुक जबे।फेर लेढ़वा कोनों ल नई बताईस।

रात कन ओखर सास ह अपन बेटी ल कहिथे बेटी दुईझन तो हन तीन ठन रोटी बना डर ।दुनों झन एक-एक ठन ल खा लेथन अउ एक ठन ल कोनों आयउवाय रख दे।दुनो झन रोटी ल खा के सो गें।
सब बात ल लेढ़वा सुनत रहय।बिहनिहा होते ही दुवारी म पहुच गे अउ अपन सास ल कहिथे फइरका ल खोलव।सास ह फइरका ल खोल के देखथे अउ अपन दमांद ल गोड़ धोये बर पानी देथे ।अपन दमांद ल हालचाल पूछथे अउ कहिथे ए का मुड़ म पथरा ल लादे हस ।लेढ़वा कहिथे दाई ह कहे रहिस हे ‘गरू चाल म जाबे बेटा ,गरू चाल म आबे ‘ त गरू चाल म आए हौं।ओखर सास ह जोर से हँसथे अउ गरू चाल के मतलब ल समझाथे ।

फेर लेढ़वा ह कहिथे रातकन के मोर बाँटा रोटी ल देवव।ओखर सास अकबका जथे, ए दद ए ह रात के बात ल कइसे जानगे।ओखर सास ह पूछथे बेटा कहाँ रात रुके रहे ग ।लेढ़वा ह कहिथे पछितपुर म रात रुके रहेंव।

दूसर दिन लेढ़वा के बाई ह पानी भरे ल जाथे अउ सब ल पनिहारिन मन ल बताके आ जथे हमर घरवाले ह  अंतर्ज्ञानी हे सब बात जनजाथे।हमन रात के तीन ठन रोटी बनाय रहेन तेला जान गिस हे।गांव म बात फ़इलगे अमुख के दमांद ज्ञानी पण्डित हे।

गांव के एक आदमी के बछिया गवांगे रथे सब लेढ़वा ल पकड़ के लेगें बिचार करे बर । लेढ़वा कतको कहिस मैं कुछ  नई जानव कहिके कोई नई सुनीन।का करय आँखिकान ल मूंद के कहिथे जावव दे दिशा म मिल जाहि।बछिया ल खोजे ल गिन त सही म उहि दिशा म मिलगे अब तो लेढ़वा प्रसिद्ध होगे।


एक गांव म पानी नई गीरत रहय।अकाल पड़ईया रहय, सब कहींन त लेढ़वा ल फेर बिचार करे बर लेगें ।लेढ़वा सोचिस अब तो जीव नई बाचय एक बार तो बचगे रहेव ।गॉव वाले मन ल कहिथे मोला दु दिन के समय देवव फेर बतावत हौ।उहि संझा के बेर लेढ़वा ह खारबाहिर गे रहय अउ चिंता म पड़े रहय कि काली का होही।


एक डबरा म पानी कम रहय ओमा मछरी अउ ओखर पिलवा रहय।डबरा म पानी सुख के कम होगे रहय।घाम पड़य त लईका मन रोवँय। लईका मन के रोवई ल देख के मछरी कथे दु दिन अउ बेटा फेर सूपा कस धार पानी गिरही।ए बात ल लेढ़वा सुन लेथे अउ गांववाले मन ल कहिथे मोर बिचार से दु दिन बाद बहुत पानी गिरही।सही म बहुत पानी गिरथे।

अब लेढ़वा बहुत प्रसिद्ध हो जाथे।बहुत धन कमाथे अउ सोचथे अइसने कतेक दिन ले बचहौं ।मोर कहे जेन दिन  सही नई होही मोला तो मार डरहीं कहिके अपन बाई ल लेवाके अपन घर आ जथे।



इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सही गलत का भेद करने के लिए हर एक व्यक्ति  का पढ़ा लिखा होना आवश्यक है,क्योकि पढ़ने लिखने से ही सोंचने समझने की क्षमता उत्पन्न होती  है।

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