हिंदी कविता- न जाने क्या होगा मेरे देश का?। hindi poem

Hindi poem हमारे देश मे बहुत मजे से सुने और सुनाए जाते हैं।चाहे बच्चे हों या बड़े कविता की बड़ी बड़ी महफ़िल सजती है।
कविता का इतिहास बहुत पूराना है। आदि काल मे कवियों द्वारा राज दरबार मे विभिन्न प्रकार के कविताएं  सुनाए जाते थे।इनमें से कुछ कविताएं वीरता पर तो कुछ कविताएं सिख देने के लिए सुनाए जाते थे। 
 आप लोगों के लिए प्रस्तुत है मेरी स्व रचित कविता जिसमे  देश के दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित किया गया है।इस कविता को पढ़ने से पहले ,मेरी आप लोगों से एक ही निवेदन है कि कविता को पूरा जरूर पढ़ें-




हे ईश्वर! न जाने क्या होगा मेरे देश का…।
पीछे पड़े हैं सब यहां जाती,धर्म,और भेष का ।।

हे ईश्वर !न जाने क्या होगा मेरे देश का….

दुनिया कितनी आगे बढ़ चुकी है।
मंगल,बुध,चाँद पे जा चुकी है।।
पर यहां सब टाँग खिंच रहे हैं,बात नहीं करता कोई विकास का…।

हे ईश्वर! न जाने क्या होगा मेरे देश का….।

लोकतंत्र के नाम ले के नेतागिरी चला रहे हैं।
आम लोगों को कोई नही पूछता अपना भविष्य बना रहे हैं।।
मीडिया सारे बिक चुके हैं, लोग विश्वास करें अब किसका।

हे ईश्वर! न जाने क्या होगा मेरे देश का….?

नेता करोड़ो हजम करके शान से बसते हैं।
कई बेमतलब ही जेल में घिसते हैं।।
गरीबों के लिए जो निषेध है, अमीरों के लिए ओ साधन है ऐश का।

हे ईश्वर! न जाने क्या होगा मेरे देश का….?



इसे भी पढ़ें-बालिका शिक्षा पर आधारित कविता ‘गोहार’www.hamargaon.com पर।


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