शासकीय शालाओं में शिक्षा व्यवस्था को देखकर जरूर आपको लगा होगा कि यहां के शिक्षक पढ़ाते नही होंगे पर क्या आपने इसके पीछे, छिपे वास्तविक कारणों को जानने का प्रयास किया है ।कोई भी शिक्षक खाली बैठकर पूरा दिन नही गुजार सकता है।
गुणवत्ता नही आने के और कई कारण है।सरकार गुणवत्ता अभियान तो चला रहा है पर गुणवत्ता न आने के कारणों को दूर नही कर रहा है।इन कारणों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है-
गुणवत्ता वर्ष
गुणवत्ता वर्ष मनावत हन संगी ,गुणवत्ता वर्ष मनावत हन।
पढ़ाय लिखाय भर ल छोड़ के ,जम्मों ड्यूटी बजावत हन।।
पढ़ाय लिखाय भर ल छोड़ के ,जम्मों ड्यूटी बजावत हन।।
गुणवत्ता वर्ष …………………………………… ।
खुद के भविष्य अंधियार हे ,अउ गियान के जोत जलाथन।
अइसे तो हमर कोई विभाग नई ए, चुनाव म अधिकारी बन जाथन।।
कभू जनगणना कभू पुनरीक्षण ,कभू प्रशिक्षण म जावत हन ……
अइसे तो हमर कोई विभाग नई ए, चुनाव म अधिकारी बन जाथन।।
कभू जनगणना कभू पुनरीक्षण ,कभू प्रशिक्षण म जावत हन ……
गुणवत्ता शब्द के पीछे सब पड़े हें ,असल गुणवत्ता से सब अनजान हें।
रोज रोज के नवा नवा परयोग , स्कूल होगे बेजान हे।।
डॉक्टर होगे गुरुजी स्वास्थ परीक्षण करावत हन……
गुणवत्ता वर्ष………………………………………..।
सोमवार स्वच्छता मंगलवार रैली, रोज उत्सव मनवाथे।
बचगे समय त डॉक बना के अधिकारी ह मंगवाथे।।
रोज शाम के शौच करइया मन बर गांव के चक्कर लगावत हन……..
गुणवत्ता वर्ष मनावत हन संगी ,गुणवत्ता वर्ष मनावत हन।
बचगे समय त डॉक बना के अधिकारी ह मंगवाथे।।
रोज शाम के शौच करइया मन बर गांव के चक्कर लगावत हन……..
गुणवत्ता वर्ष मनावत हन संगी ,गुणवत्ता वर्ष मनावत हन।
पढ़ाय लिखाय भर ल छोड़ के जम्मो ड्यूटी बजावत हन।।
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