छत्तीसगढ़ी कहानी:घुरूवा के दिन बहुरथे जी ।chhattisgarhi kahani: ghuruva ke din bahut the ji

आप सभी ने छत्तीसगढ़ी कहावत ‘घुरूवा के दिन बहुरथे जी’ जरूर सुना ही होगा।दोस्तों इस कहावत को चरितार्थ करता एक कहानी आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है।आप इसे, आप बीती या सच्ची घटना का नाम भी दे सकते हैं।

 

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वर्तमान समय ऐसा समय है कि पल भर में लोगों का भविष्य बनते देर नही लगता और बिगड़ते देर भी नही लगता ।किसी का किस्मत रातोंरात इतना बदल सकता है कि आज सड़क पर बैठा व्यक्ति कल किसी राज महल का मालिक बन सकता है।

 

इसी लिए कहा जाता है कि कभी किसी के वर्तमान को देख कर उसका भविष्यवाणी नही करना चाहिए।

 

कभू जरूर सुने होहु की ‘घुरवा के दिन जरूर बहुरथे जी ‘आज मैं अइसने घुरवा के कहानी सुनावत हौं।

 

घुरूवा के दिन बहुरथे जी

 

 
एक झन घुरुवा रहै। सब घुरवा के हंसी उड़ावै ।समाज के सब वर्ग, एक अनपढ़ आदमी से लेके पढ़े लिखे तक ,कोनों ओखर इज्जत नई करैं, काबर के जब ले घुरवा के सुरुवात होय रहिस तब ले सरकार हर ओखर चित्र ही समाज के सामने ओइसने रखे रहिस।

 

घुरवा बहुत अपमानित होवय ,बहुत ताना सहय, फेर मेहनत करे ल नई छोड़य ।समाज ल एक से बढ़ के एक फसल पैदा करके दै ,तभो ले समाज म ओखर एक ही पहिचान ,कि घुरुवा कुछ नई करै।
ओखर साथ म काम करइया कुछ पुराना घुरूवा मन तको ओखर प्रति हीन भाव राखैं।
एखर एक कारन अउ रहै काबर के घुरूवा के संख्या बहुत जादा रहै,अउ जादा संख्या रहे ले एकाक घुरूवा तो खराब रहिबे करही। उहि एकाक खराब घुरूवा मन के नाम लेके पूरा घुरूवा मन ल बदनाम करैं ।ये ह सब के ऊपर लागू होथे काबर कोनो समाज ल देख ले एकाक झन तो खराब निकलबे करथे ,सब के सब सुघ्घर नई हो सकय। सब जानथें फेर जानबूझ के घुरूवा ल बदनाम करैं।
घुरूवा के आय एतका रहै के ओ ह अपन परिवार ल तको ठीक से नई चला सकै।लड़की देखे ल जाय त घुरूवा कहिके हसीं उड़ावैं,अउ कोनो लड़की दे भी दै त दश बार सोचै।

 

घुरूवा अपन स्वाभिमान बर खूब संघर्ष करै ओखर मुश्किल समय म सांथ देये के बजाय समाज ह ओखर मनोबल ल गिरादै,अउ ओखर हड़ताली घुरूवा नाम रखे रहैं।
एक बात अउ घुरूवा हमेशा सब्बो के काम करै कभू डॉक्टर, कभू पटवारी, कभू चुनाव अउ न जाने का का । कोनो विभाग के काम नई छूटे रहय।काम करे के बेर शासकीय अउ काम निकल जाय त विभाग के ही पता नई रहै।

 

फेर एक दिन घुरूवा के मेहनत रंग लाइच अउ ओखर सहीं नाम  ओला मिल गे।ओला अब उहि समाज ह महत्व दे लागिच। घुरूवा बने बर लाइन लग गे। अब सब घुरूवा बने ल चाहे लगीन।घुरूवा बर लड़की दे बर सब पूछे लागिन।

 

अब घुरूवा के दिन बहुर गे ।जानथौ ओ घुरूवा कोन ए?

 

ओ घुरूवा ए शिक्षाकर्मी
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हां हां उहि शिक्षाकर्मी, जेखर अब संविलियन होगे हे।उहि शिक्षाकर्मी जेन अपन स्कूल म काम करइया चतुर्थ वर्ग कर्मचारी से भी कम वेतन पावै। उहि शिक्षाकर्मी जेखर सब हंसी उड़ावै।उहि शिक्षाकर्मी जेन अब शिक्षाकर्मी से शिक्षक बन गे।

 

ह कहानी आप लोगों को कैसा लगा कमेंट के माध्यम से जरूर अवगत कराना।आप लोगों को यह कहानी पसंद आता है तो शेयर जरूर करना। धन्यवाद

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