छत्तीसगढ़ी शायरी कलेक्शन
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तोला देखे बर घेरिबेरी तोर पारा में ह जाथौं।
कतका उदिम करथौं तब एक झलक ल पाथौं।।
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मन करथे तोर मया के छइहा म अइसने जिनगी बितातेंव। एक जनम के बात कोन कहै सातो जनम निभातेंव।।
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करले तै भरेसा संगी मन म तोला बसाहुँ।
आँखि आँखि म झूलत रथस रानी तोला बनाहुँ।।
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