भिंडी की खेती कम लागत में अधिक से अधिक इनकम।bhindi ki kheti cg

वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि पर दबाव बढ़ता जा रहा है।लोग खेती के नए नए तरीकों का इजात करने में लगे हुए हैं।आज लोग एक फसल से सन्तुष्ट नहीं हैं साल में कम से कम दो या अधिक फसल सामान्य बात हो गई है।और ये जरूरी भी है क्योंकि एक फसल लेने से खेत पूरे साल भर खाली पड़ा रहता है।

 
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इन सब बातों को ध्यान में रखकर हम ऐसे फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसमे कम लागत पर अधिक से अधिक income प्राप्त किया जा सकता है उस फसल का नाम है भिंडी।धान या सोयाबीन के फसल लेने के पश्चात भिंडी की खेती  दूसरा फसल के रूप में किया जा सकता है ।भिंडी की फसल के लिए सिचाई के साधन का होना जरूरी है।तो आइए भिंडी के फसल के बारे में जानें।

 

समय-
 
वैसे तो भिंडी की वर्षा कालीन फसल की बुवाई जून जुलाई और ग्रीष्म कालीन फसल बुवाई जनवरी फरवरी में किया जाता है।पर हमारे गॉव में  भिंडी की खेती धान फसल की कटाई के पश्चात किया जाता है।अक्टूबर ,नवम्बर माह में किया जाता है।
 
खेत तैयार करना-
 
भिंडी के फसल के लिए ट्रैक्टर या हल से दो बार सघन जुताई करना पड़ता है ताकि मिट्टी ढीली पड़ जाये।ध्यान रखें कि मिट्टी का बड़ा बड़ा ढेला न रहे यदि हो तो रोटोवेटर से ढेला को फोड़ लें।
 
बी
 
भिंडी के बीज को लगाने के कई विधि है पर जिस विधि को हमारे गॉव में प्रयोग किया जाता है वह विधि है फल्ली जैसे टपकाना।हल के जुताई से बने धारि में भिंडी के बीज को टपकाया जाता है।चाहें तो 5-6 धारि के पश्चात एक धारि को खाली छोड़ा जा सकता है ताकि बाद में भिंडी तोड़ते समय सुविधा होगी।


सिंचाई
 
बीज बोने के पश्चात स्प्रिंकलर से गहरी सिचाई करना चाहिए ताकि सभी बीज अच्छे से भींग जाए जिससे अंकुर अच्छे से निकल सकेगा।भिंडी फसल को कई बार सिचाई की आवश्यकता होती है पर बाद वाला सिचाई पहले वाले सिचाई से कम मात्रा में करना पड़ता है।
 
खाद-
 
खाद का प्रयोग भिंडी के फसल में बहुत कम करना चाहिए क्योंकि यदि घर मे बने कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं तो फसल की ऊंचाई अधिक बढ़ जाती है। भिंडी के अधिक पैदावार के लिए आवश्यक है कि तना अधिक न बढ़े।
जैसे ही लगे कि फूल लगने वाला है फल फूल  लगने वाला खाद डाला जा सकता है।आवश्यकता के अनुसार  किट ,फूल झड़ने से बचाने वाला खाद डाला जा सकता है।फिर जैसे ही भिंडी तोड़ने लायक होता है तो 2 या 3 बार भिंडी तोड़ने के पश्चात फिर से फल फूल वाला खाद डाला जा सकता है।
बाजार
भिंडी को दो या तीन दिन के अंदर तोड़ लेना चाहिए क्योकि भिंडी को अधिक दिन तक नही तोड़ने से वह सब्जी के लायक नही बचता है। ज्यादा सख्त हो जाता है।तोड़ने के पश्चात तुरन्त ही नजदीकी बाजार या मंडी में बेच देना चाहिए।
 
इस प्रकार आप एक एकड़ में 12000 से 14000रुपये के खर्च पर 80000 -90000 रुपये तक income प्राप्त कर सकते हैं।
 

 

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