chhattisgarhi कहानी के क्रम में एक कहानी जो बहुत सुने और सुनाए जाते थे उस कहानी का नाम है-बिरन अउ बादशाह (अकबर और बीरबल) ,यह कहानी साहस और चतुराई की कहानी है।chhattisgarh में अकबर और बीरबल की कहानी को सीख देने के लिए उदाहरण के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है |
आधा छांव अउ आधा घाम
एक बार के बात ए ,राजा अकबर ह अपन दरबार म बइठे रहय ।पूरा दरबार भरे रहय एक से बढ़ के एक गियानी पंडित मन बइठे रहय।उंखर संग म बीरबल तको बइठे रहय ।
राजा के सारा तको बइठे रहय ।राजा के सारा ह मंत्री मन के संग मिल के राजा के तीर म जा के चुपकन कहिथे महाराज बीरबल ह तो बुराई करत रहिस अउ दूसर राजा के बड़ाई करत रहिस ।
एतका बात ल सुन के राजा ह उंखर बात म आगे अउ गुस्सा के भरे सभा म बीरबल ल कहिथे तैं मोर राज ले निकल जा बीरबल।
ए बात ल बीते कुछ दिन होगे ।सही सलाह नही मीले के सेरी धीरे धीरे राजा के राज म सब कुछ उल्टापुल्टा होय लागिस।राजा के राज के हालत बिगड़े लगिच।
राजा ल समझ आगे कि अब ओखर राज ल बीरबल ही बचा सकत हे ,पर बीरबल लापता होगे रहय।राजा अपन राज अउ आसपास के राज म बीरबल ल खोजवाइस फेर बीरबल नई मिलिस।
अब राजा परसान होगे फेर एक उपाय सोचिच अउ ढिंढोरा पिटवा दिच, के जेन आदमी आधा छांव अउ आधा घाम म रहिके मोर मेर आहि तेेेला इनाम दे जाहि।
राजा के आदेश ह धीरे धीरे दूसर राज म तक पहुंचगे,फेर कोनो राजा मेर आधा छांव अउ आधा घाम म रहिके नई जा सकिन।
एक दिन बीरबल ह जेन राज म रहय उहां के एक आदमी ल कहिथे -खटिया ल मुड़ म बोह ले अउ राजा के दरबार म जा।
ओ आदमी ह बीरबल के कहे अनुसार राजा के दरबार म खटिया ल मुड़ म बोह के चल दिस।ओ आदमी के मूड़ म रखे खटिया ल देख के राजा समझगे अइसन दिमाक तो बीरबल ही ह दे सकत हे।
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सीख-इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी के बहकावे में आकर जो हमें सहीं सलाह देता है ऐसे व्यक्ति से मुह नही मोड़ना चाहिए।
बीरबल की तरह हमें भी होशियार और नए नए तरीके ईजाद करने वाला होना चाहिए।
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